Tuesday 30 December 2014

रोडवेज बस का सफ़र















कल मैंने ना जाने कौन सी बार उत्तर प्रदेश रोडवेज बस द्वारा यात्रा की बस में जाकर खड़ा हुआ क्योंकि बैठने की जगह नहीं थी खड़े खड़े बोर होते हुए ख्याल आया की चलो टाइम पास के लिए आज हम भी बस की गतिविधियों को “ओब्ज़र्व” करेंगे जैसा की आजकल चलन में हैं सबसे पहले अतरंगी व्यक्ति जो दिखाई दिया वो था बस का कंडक्टर उसके जैसा ‘पेसिमिस्ट’ व्यक्ति मैंने और कहीं नहीं देखा जैसे उन्हें आधा गिलास खाली दिखाई पड़ता हैं इसे तो पूरी की पूरी एकदम ठसाठस भरी बस जहाँ तिल रखने की भी जगह ना हो, खाली दिखाई पड़ती हैं, वो बस यहीं बोलेगा की ‘भैया पीछे हो जाओ, पूरी की पूरी बस एकदम खाली पड़ी हैं’ और उत्तर प्रदेश रोडवेज वालो ने टिकट्स के दाम भी शायद कंडक्टरो से पूछ कर तय किये हैं कहीं का किराया 29 रूपये तो कहीं का 33. अगर आपके पास खुले पैसे नहीं हैं तो एक दो रूपये वापस मिलने की आशा तो छोड़ ही दीजिये

अब आते हैं सवारियों पर, पहले किस्म के लोग कंडक्टर के ही चिर परिचित मालूम होते हैं उन्हें भी कुछ दिखाई नहीं देता तीन लोगो की सीट पर तीन लोगो के होने के बावजूद भी वो कहेंगे ‘अरे बहुत जगह हैं भाई, थोडा उधर खिसक जाओ, अभी तो दो लोग और बैठ जायेंगे इस पर

दूसरी आती हैं खुर्राट आंटियां, अगर आप गलती से ना जाने किस मनोदशा में ‘महिला’ सीट पर बैठ गए हैं तो वो आपके पास आकर खडी हो जायेंगी और आपको ऐसे घूरेंगी जैसे आप ही ने भारत को ऑस्ट्रेलिया के हाथों दो टेस्ट मैच हरवा दिए हो, और फिर ऊपर लिखे ‘महिला सीट’ की ओर इशारा करके आपको इशांत शर्मा की तरह ‘अनवांटेड’ फ़ील करवा के आपको वहां से उठा देंगी

फिर आते हैं तीसरे किस्म के यात्री, इन्हें मैंने ‘मजदूर चीटियों’ का नाम दिया हैं क्योंकि बिलकुल उनकी ही तरह ये भी अपने वज़न से तीन गुना भारी सामान लेकर यात्रा करते हैं ये बस में आते ही कमर पर लटका बैग चार लोगों के मुँह पर मारेंगे और हाथ में लिए बैग सामान रखने वाली जगह पर रखने की जद्दोजेहद में पांच लोगों के सर पर

चौथी किस्म के यात्रियों से मुझे बड़ा डर लगता हैं, ये वो हैं महिलायें जो अपने साथ चार से पांच बच्चे लिए हुए होती हैं जब तक कंडक्टर सीट दिलवाने का आश्वासन ना दे दे वो बस में चढ़ती ही नहीं हैं अब सीट उन्हें आसानी से मिल जाती हैं तो बच्चे तो बच्चे हैं, वो कहाँ आराम से बैठने वाले हैं अब वो अपनी सीट से आगे वाली सीट पर बैठी लड़की के बाल खीचेंगे, नाक में ऊँगली डालेंगे और उस खनन के पश्चात वहाँ से निकले पदार्थों को इधर उधर चिपका देंगे रोके जाने पर ना जाने कितने डेसिबल की कान फाडू ध्वनि के साथ रोना शुरू कर देंगे

और पांचवी किस्म के यात्री होते हैं मुझ जैसे, ट्विट्टर पीढ़ी वाले. उन्हें सीट मिल गयी तो ठीक वरना डंडा पकड़ के चुपचाप खड़े रहेंगे गाने सुनेंगे और बीच में फ़ोन में कुछ पढ़कर मुस्कुराएंगे इसी किस्म में से कुछ लोग जो अपने आप को सुकरात और ह्वेन सांग का चाचा समझते हैं लोगो को ‘ओब्ज़र्व’ करना शुरू कर देते हैं और वहीँ से 5 – 6 ट्वीट ओर एक आध ब्लॉग लायक मटेरियल निकाल कर मन ही मन प्रफुल्लित होते रहते हैं

अब आप भी जब अगली बार बस से सफ़र करे तो ‘ओब्ज़र्व’ करें. कुछ और ना हुआ तो टाइम तो मस्त कट ही जाएगा और हाँ, इसी ओब्ज़रवेशन के बीच अपने स्टॉप का भी ध्यान रखें, निकल गया तो ड्राईवर चार गाली देने के बाद ही बस रोकेगा

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Saturday 9 August 2014

स्कूल की राखी













राखी आती हैं खुशियाँ लाती हैं,
भाई और बहन के प्यार को दर्शाती हैं,
पर ये स्तिथि घर पर होती हैं,
स्कूल की राखी कहर बरपाती हैं,


राखी करीब आते ही हर लड़का डरने लगता हैं,
राखी आने तक पल पल अन्दर ही अन्दर मरने लगता हैं,
जिस लड़की को मन ही मन पसंद करते हैं, वो डराने लगती हैं,
हाथ में लिए राखी, सपनो में आने लगती हैं,


स्कूल में कर्फ्यू का सा माहौल होता हैं,
लड़की के पास से गुज़र भर जाने से दिल रोता हैं,
डरे सहमे लड़के रहते हैं इसी आस में,
भगवान् इस बार बचा लो, कोई बहन ना बनवाओ क्लास में,


राखी से दो दिन पहले छुट्टी के प्रार्थना पत्र पहुँच जाते हैं स्कूल उनके,
जो समझदार होते हैं,
जो आ जाते हैं स्कूल,
वो नए नए भाई बन कर रोते हैI

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Thursday 12 December 2013

प्रोफेशनल आशिक़



एक दिन सड़क से गुज़रते हुए एक शख्स पर नज़र पड़ी,
तक रहा था वो एक खिड़की की ओर, देख रहा था बार बार घड़ी,
लगता था किसी घटना के घटित होने के इंतज़ार में था वो खड़ा,
उसका परेशानी भरा चेहरा देख मैं ही उससे बोल पड़ा,


क्यों भाई? क्यों इतने परेशान दिखते हो?
ये घड़ी की तरफ घड़ी घड़ी देख कर खिड़की को क्या तकते हो?


वो बोला, मैं प्रोफेशनल आशिक़ हूँ,
लड़की पटाने के सभी दाव पेंचो से वाकिफ़ हूँ,
खड़ा हूँ यहाँ एक नयी लड़की को पटाने के चक्कर में,
इस क्षेत्र में सबसे उत्तम हूँ मैं, कोई नहीं हैं टक्कर में,


मैं चुटकी लेते हुए बोला उससे,
लड़की पटाना भी हैं एक प्रोफेशन?
इतने ज्ञानी हैं अगर आप,
तो हमें भी दो कुछ लेसन,


तो वो बोला, लड़की पटाने में लगते हैं तीन ‘ध’,
जो हैं – धन, धैर्य ओर ध्यान,
ये तीनो ही वो गुण है,
जो बना सकते हैं तुम्हे महान,


‘धन’ लगता हैं मारने में टशन,
फॉलो करने में लेटेस्ट फैशन,
‘धैर्य’ लगता हैं लड़की के इंतज़ार में,
उसका पीछा करने घर तक, कॉलेज और बाज़ार में,
और ‘ध्यान’ रखना पड़ता हैं की कहीं देख ना ले उसके भाई,
वरना हो जायेगी ज़ोरदार पिटाई,


तो मैं उससे बोला, मुझमे नहीं हैं इनमे से कोई भी गुण,
ना ही धन, ना धैर्य ना ध्यान,
बस तू अपने पास ही रख अपना ये ख़तरनाक ज्ञान,


इतना ख़तरा उठाना नहीं हैं सही,
अगर लड़की के परिचितों ने देख लिया कहीं,
तो इतना मारेंगे की हड्डियाँ अपने स्थान से हट जायेगी,
मैं जा रहा हूँ पढने, लड़की जिस दिन पटनी होगी पट जायेगी!

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Friday 17 May 2013

गर्मियों का प्रकोप














हो चुका है गर्मियों का आगमन,
अस्त व्यस्त हो चुका है जन जीवन,
सूर्य देवता के बढते ताप से लोग परेशान है,
और तापमान मापक का पारा छू रहा आसमान है,

सार्वजनिक यातायात साधनो मे होता गर्मीं का असली अहसास है,
बदबू के कारण दूभर हो जाता लेना श्वास है,
उस समय मन को अजीब अजीब सवाल सताते है,
कि लोग आखिर इतनी गर्मीं मे भी क्यों नही नहाते है,

घर पर भी कहां चैन मिल पाता है,
छत का पंखा भी आग ही बरसाता है,
अब तो पूरा शहर भी नर्क की उस कथित मानव भट्टी का अहसास दिलाता है,
जहां मनुष्य अपने पापो की सजा पाता है,

अब ये मौसम का चक्र तो किसी तरह झेलना है,.
मई तो लगभग झेल चुके है, जून और जूलाई और झेलना है,
इसीलिये काबू किजिये अपने मस्तिष्क का पारा,
और सामना किजिये इस मौसम का जैसे 'ये मौसम ना आयेगा दोबारा'


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Monday 31 December 2012

"सर्दियों का स्नान"
















सर्दियाँ आ गयी हैं,
गिर गया हैं तापमान,
बाकी चीज़ें तो ठीक हैं,
पर मुश्किल हो गया हैं स्नान,


सर्दियों की धुंध वाली सुबह,
दिल को डराती हैं,
नहाने के विचार मात्र से ही,
रूह सिहर जाती हैं,


बड़ी दुविधा में रहता हूँ मैं आजकल,
क्योंकि गरम पानी से नहाने में जाती मेरी शान हैं,
और ठन्डे पानी से नहाना भी तो आत्महत्या के समान हैं,


इसीलिए आजकल सूर्य देव के दर्शन का रहता हैं इंतज़ार,
सूर्य की किरणे दिखने पर ही किया जाता हैं नहाने पर विचार,
इसीलिए जिस दिन सूर्य के दर्शन नहीं हैं होते,
उस दिन केवल हम हाथ मुह हैं धोते,


आपसे भी मेरी यही विनती हैं,
सिर्फ नहाने मात्र से नहीं होनी सभ्य लोगो में आपकी गिनती हैं,
इसीलिए सभी स्तीथियो का ले भलि भाँति संज्ञान,
और कुछ दिन छोड़ छोड़ करें सर्दियों में स्नान!!



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Wednesday 14 November 2012

"भ्रष्टाचार"














कुछ दिनों से सब जगह भ्रष्टाचार के बारे में सुन रहा था,
आखिर ये हैं क्या बला, कोरी कल्पनाए बुन रहा था,
पहले तो लगा कि ये कोई नए किस्म का अचार हैं,
जिसका नया नया शुरू हुआ भारत में व्यापार हैं,

पर फिर पता चला की कोई हुआ हैं टू जी घोटाला,
जिसमे था भ्रष्टाचार का बोलबाला,
फिर कामनवेल्थ, कोल् गेट और हुए कई नए नए घोटाले युक्त काम,
इन सभी में फिर से आया भ्रष्टाचार का नाम,

अब तो मेरी जिज्ञासा और अधिक जाग चुकी थी,
अब सच्चाई थी जाननी मुझे, कल्पनाए सारी भाग चुकी थी,
तो लेकर अपने इस सवाल के जवाब की आस,
मैं जा पहुंचा एक नेता जी के पास,
बोला, नेता जी, इस सवाल के जवाब के लिए कई जगह मैंने धक्के खा लिए,
अब आप ही इस विषय पर थोड़ा प्रकाश डालिए,

नेता जी बोले, सरल शब्दों में कहूँ तो भ्रष्टाचार राजनीति का शिष्टाचार हैं,
एक नियमावली हैं जिसके आधार पर चलता अपना व्यापार हैं,
जो पैसा जनता के हित्त के लिए हमें मिलता हैं,
अपने घर का खर्चा भी उसी से चलता हैं,

अब मेरी समझ में पूरी तरह आ चुका था भ्रष्टाचार का खेल,
समझ चुका था ये नेता लोग रहे हैं अपना ही पैसा पेल
पर समय कहाँ था की करूँ भ्रष्टाचारियों से दो-दो हाथ,
तो मैं भी शामिल हो गया उस भीड़ में, जो कहती थी, "अन्ना तुम संघर्ष करो, हम हैं तुम्हारे साथ"

Friday 9 November 2012

रिसर्च: ट्विट्टर के कीड़े



















"आज के युग में वैज्ञानिको ने कीट पतंगों के साथ साथ एक बिलकुल नए कीड़े की खोज की हैं! इनका सम्बन्ध ट्विट्टर के साथ हैं अतः इन्हें ट्विट्टर के कीड़े कहा जाता हैं!"

प्राप्ति स्थान:- यह कीड़े प्राय गर्मियों में प्रकृति की शांत गोद में, बागों में, पेड़ों की छांया में, घर की छतो पर तथा सर्दियों में बंद घरों के कोनो में ट्वीट करते हुए पाए जाते हैं! ये कीड़े पूरी रात जागते हैं!

उत्पत्ति विधि:- इन्टरनेट तथा सोशल नेटवर्किंग नामक उत्प्रेरको के साथ तीव्र ट्वीट क्रिया करने पर यह कीड़े प्राप्त होते हैं!

                       इन्टरनेट + सोशल नेटवर्किंग + ट्वीट क्रिया ------> ट्विट्टर के कीड़े


भौतिक गुण:- इनका रंग साधारणतया पीला, आँखें अन्दर को धंसी हुई, छुपी तथा स्वभाव चिंताजनक पाया जाता हैं!

रासायनिक गुण:- यदि इन ट्विट्टर के कीड़ों को अधिक वायुमंडलीय दबाव पर लगभग 5 ग्राम हंसी मजाक के साथ ट्रोल किया जाए तो एक विशेष प्रकार के चिडचिडेपन की उत्पत्ति होती हैं!

                      ट्विट्टर के कीड़े + 5 ग्राम हंसी मजाक के साथ ट्रोल + वायुमंडलीय दबाव ------> चिडचिडापन


पहचान:- आँखें हमेशा मोबाइल या लैपटॉप की स्क्रीन पर चिपकी हुई, कुछ फैशन से बिलकुल दूर और कुछ उससे भरपूर, हर समय राजनीति, फिल्मों या खेल की बातें करना, समाज के निकट होते हुए भी ये समाज से अपरिचित होते हैं!


नोट: "ये रचना मेरे द्वारा कुछ वर्षो पहले एक पत्रिका में पढ़ी गयी रचना से प्रेरित हैं!"